यूरोप के मध्य में स्थित होने कारण जर्मनी (Germany) का खेल-कूद और शारीरिक शिक्षा पर बहुत प्रभाव रहा है। जॉन बर्नाड बेसडो ने खेल-कूद के प्रति काफी उदार दृष्टिकोण अपनाया, और इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया। जिमनास्टिक बहुत ही लोकप्रिय खेल था, गटस मथ्स (Guts Muths) जिसे जिमनास्टिक का ग्रैंडफादर कहा जाता है ने इसे वैज्ञानिक पद्धति में प्रयोग किया एवं इसमें तैराकी व अन्य खेलों को भी शामिल किया। यह परिक्षण काफी सफल रहा और लोग अपने बच्चों को इसमें प्रतिभाग करने के लिए प्रोत्साहित करने लगे। बाद में इस पद्धति को फ्रैड्रिक जॉन (Friedrich John) और एडोल्फ स्पीज (Adolph Speiss) ने आगे बढ़ाया और खेल विज्ञान को भी गणित और भाषा की तरह लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयत्न करते रहे। उनके प्रयासों के फलस्वरूप 1860 में खेल विज्ञान को अनिवार्य विषय के रूप में शुरू कर दिया गया।
जर्मनी (Germany) का इतिहास
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में काफी सराहनीय रहा है, विशेषज्ञों ने जर्मनी इतिहास को 4 भागों बांटा है –
- 18वीं से 19 वीं शताब्दी के मध्य का काल
- 19 वीं शताब्दी के मध्य से नाज़ी काल तक
- नाज़ी काल में शारीरिक शिक्षा (1933-1945)
- दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् का समय
18वीं से 19 वीं शताब्दी के मध्य का काल
इस काल खंड को इतिहास के विशेषज्ञों द्वारा पुनः चार भागों में बांटा गया है।
- जॉन बर्नाड बेसडो का समय (1713-1790 ईस्वी तक )
- जॉन क्रिस्टोफर फ्रेड्रिक गट्स-मथ्स (1759-1839 ईस्वी तक)
- फ्रेड्रिक लुडविक जॉन (1778-1852 ईस्वी तक)
- एडोल्फ स्पीज (1810-1858 ईस्वी तक)
जॉन बर्नाड बेसडो का समय (1713-1790 ईस्वी तक )
जॉन बर्नाड बेसडो को जर्मनी (Germany) में आधुनिक शारीरिक शिक्षा का पितामह कहा जाता है, जर्मनी आने से पहले जॉन बर्नाड डेनमार्क में शारीरिक शिक्षा के शिक्षक थे। जॉन बर्नाड बेसडो ने डेनमार्क के अपने अनुभवों को जर्मनी के शारीरिक शिक्षा में सम्मिलित किया और जर्मनी में शारीरिक शिक्षा को विकसित किया। जर्मनी में शारीरिक शिक्षा के विकास के लिए जॉन बर्नाड बेसडो ने निम्नलिखित कार्य किये –
1774 ईस्वी में जॉन बर्नाड बेसडो ने डेशाह (Dessah) नमक स्थान पर प्रकृतवादी पाठशाला शुरू किया जिसका नाम फिलैनथ्रोपिनम (Philanthropinum) रखा। इसकी नींव रूसो (Roussou) की विचारधारा पर रखी गई थी।
जॉन साइमन (John Simon) इस पाठशाला के प्रथम शारीरिक शिक्षक थे, जो विद्यर्थियों को जिमनास्टिक, मनोरंजन, और शारीरिक क्रियाओं के द्वारा पाठशाला में व्यस्त रखते थे।
जॉन क्रिस्टोफर फ्रेड्रिक गट्स-मथ्स (1759-1839 ईस्वी तक)
गट्स मथ्स (Guts Muths) को जर्मन जिमनास्टिक का पितामह कहा जाता है। गट्स मथ्स ने सन 1786 ईस्वी के लगभग साल्जमैन के विद्यालय में क्रिस्चियन कार्ल आंद्रे के स्थान पर शारीरिक शिक्षा के प्रशिक्षक के रूप में कार्यभार संभाला और कई वर्षों तक कार्य किया। गट्स मथ्स ने कई प्रकार की शारीरिक क्रियाओं का अविष्कार भी किया जैसे- रस्से वाली सीढ़ियों पर चढ़ना, तैराकी, कुश्ती, और संतुलन से सम्बंधित क्रियाएं। इन्होने अपने शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम में लम्बी दूरी तक पैदल चलने को शारीरिक प्रशिक्षण का अच्छा साधन बताया।
उपलब्धियां
गट्स मथ्स ने दो पुस्तकें लिखी खेल (गेम्स) और जिमनास्टिक फॉर द यंग (Gymnastic for the Young) .
जिमनास्टिक फॉर द यंग दो भागों प्रकाशित की गई। पहले भाग में व्यायाम के प्रभाव तथा उद्देश्य के बारे में बताया गया, और दूसरे भाग में धावन, प्रक्षेपण, कूदना, रस्से पर चढ़ना, चलना, नृत्य, कुश्ती, तथा संतुलन से सम्बंधित क्रिया कलापों के बारे में बताया गया है। खेल नमक पुस्तक में 105 मनोरंजक खेलों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।
फ्रेड्रिक लुडविक जॉन (1778-1852 ईस्वी तक)
फ्रेड्रिक लुडविक जॉन ने शारीरिक शिक्षा को जर्मनी में एकता के साधन के रूप में प्रचलित एवं प्रसारित किया। फ्रेड्रिक लुडविक जॉन ने बर्लिन में लड़कों के स्कूल प्लामान (Plamann’s Boys School) और ग्रियू क्लोस्टर में अध्यापन कार्य था। जर्मनी में फ्रेड्रिक लुडविक जॉन का समय काफी संघर्षपूर्ण था। फ्रेड्रिक लुडविक जॉन की शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित उपलब्धियां हैं-
1811 ईस्वी में फ्रेड्रिक लुडविक जॉन ने एक आयताकार आकार का एक व्यायाम क्षेत्र का निर्माण कराया जिसका नाम टर्नप्लाज (Turnplaz) रखा, जिसका अर्थ व्यायामशाला होता है। धीरे धीरे टर्नप्लाज में व्यायाम करने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इसमें व्यायाम करने वालों को टर्नर (Turner) नाम दिया गया था।
1812 में जर्मनी ने इनके व्यायामों को स्वीकृति दे दी, जिसके परिणाम स्वरुप बड़े बड़े शहरों और नगरों में युवा व्यायाम दलों का गठन हुआ। सम्पूर्ण जर्मनी में चारो ओर शारीरिक क्रियाओं का प्रचार प्रसार हुआ।
1816 में फ्रेड्रिक लुडविक जॉन ने जर्मन जिम्नास्टिक नाम की पुस्तक लिखी।
एडोल्फ स्पीज (1810-1858 ईस्वी तक)
एडोल्फ स्पीज का उद्देश्य शारीरिक व्यायाम को सामान्य शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनवाना था। वो एक ऐसी व्यायाम प्रणाली तैयार करना चाहते थे जो पाठशाला में आसानी से उपयोग किया जा सके। एडोल्फ स्पीज ने शारीरिक शिक्षकों के लिए भी शारीरिक प्रशिक्षण का कार्यक्रम तैयार किया था। 1848 में जिमनास्टिक व्यायाम को शिक्षा के एक अंग के रूप में मान्यता दे गयी थी।
उपलब्धि-
1833-1848 में एडोल्फ स्पीज ने सिस्टम ऑफ़ जिमनास्टिक (System of Gymnastic) और प्रैक्टिकल मैन्युअल फॉर स्कूल्स (Practical Manual for Schools) नमक पुस्तकें भी लिखी।
19 वीं शताब्दी के मध्य से नाज़ी काल तक
1851 में बर्लिन में रॉयल सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिमनास्टिक की स्थापना की गई। वॉन रोथस्टेन इस इंस्टिट्यूट के पहले निदेशक बनाये गए। वॉन रोथस्टेन एक फौजी अधिकारी थे जिनको जर्मन सरकार ने स्वीडेन की लिंग स्वीडिश व्यायाम को रॉयल सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिमनास्टिक में प्रारम्भ करने की जिम्मेदारी दी थी। इस संस्थान में सैनिकों और शारीरिक शिक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण दिया जाता था। 1860 में जिमनास्टिक को प्राथमिक और हाई स्कूलों लागू किया गया, जिसकी जिम्मेदारी परुसिया को दी गये थी। सन 1862 में जिमनास्टिक को जर्मनी से सभी बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था।
जर्मनी में शारीरिक शिक्षा को डी कार्ल डाईम के प्रयत्नों से एक नई ऊँचाई मिली, और इनको जर्मनी में 1936 ओलम्पिक खेलों का निदेशक बनाया गया। इन्होने ही ओलम्पिक खेलों में मशाल दौड़ का प्रचलन शुरू किया था। इन्ही की मार्गदर्शन और प्रयासों से 1976 मोंस्ट्रियल ओलम्पिक में जर्मनी ने तीसरा स्थान पाया था।
नाज़ी काल में शारीरिक शिक्षा (1933-1945)
प्रथम विश्व युद्ध के बाद नाज़ी पार्टी ने जर्मनी में शासन की जिम्मेदारी संभाली एवं अपने आदर्शों पर शारीरिक शिक्षा को दिया। नाज़ी पार्टी का नियंत्रण एडोल्फ हिटलर के हाथों में था। इस पार्टी को नेशनल सोसलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (NSGW) के नाम से भी जाना जाता था। हिटलर ने 1919 में नाज़ी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इस पार्टी को पहले जर्मन वर्कर्स पार्टी के नाम से जाना जाता था। हिटलर ने 30 जनवरी 1933 से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के वर्ष 1945 तक जर्मनी पर शासन किया। 30 जनवरी 1933 को जर्मनी के राष्ट्रपति पॉल वॉन हिडनबर्ग ने हिटलर को चांसलर की शपथ दिलाई थी। 1934 में हिडनबर्ग की मृत्यु के उपरांत ने सम्पूर्ण जर्मनी पर तानाशाह के रूप में शासन किया। हिटलर के ही शासन काल में 1936 बर्लिन ओलम्पिक का आयोजन किया गया था। नाज़ी काल में शारीरिक शिक्षा सरकार के अधीन थी। नाज़ी पार्टी ने 1933 में हिटलर यूथ नाम की एक संस्था बनाई थी जिसमे प्रारम्भ में लगभग 30% युवा इसकी सदस्यता ग्रहण कर लिए थे और 1939 तक लगभग 80% युवा इस संस्था में शामिल हो चुके थे।
दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् का समय
दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् जर्मनी का दो भागों में विभाजन हो गया।
1- पूर्वी जर्मनी, जो अपने आदर्शों पर चलता था। पूर्वी जर्मनी में शारीरिक शिक्षा का प्रबंधन अच्छा था और यह एक अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल था। प्रत्येक व्यक्ति को सप्ताह में एक बार व्यायाम करना अनिवार्य था। 1947 में कार्ल डायम ने जर्मनी के कोलोन (कोलोन) में एकेडेमी ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन की स्थापन की।
2- पश्चिमी जर्मनी- अमेरिका और यूरोपीय आदर्शों पर चलने वाला।